नाय़ाब (priceless, rare)
हकीकत में क्यों साथ नहीं ?!
चले जा रहे हैं बस युहीं,
हकीकत क्या है और क्या नहीं
जैसे रेल की पटरी पर चल रहे हैं |
नाय़ाब हैं हम, नाय़ाब हो तुम ...
एक हसरत दिल मैं लिए
अधूरी ख्वाहिशों के परदे सिये,
मुल्कों मुल्कों मैं ये ख़त तुम तक लिए
जैसे रेल की पटरी पर चल रहे हैं |
नाय़ाब हैं हम, नाय़ाब हो तुम ...
जैसे आँखों की इबादत है
कायिनात की शरारत है ,
इस इत्र से महक ता- उम्र यह इबादत है
जैसे रेल की पटरी पर चल रहे हैं |
नाय़ाब हैं हम, नाय़ाब हो तुम ...
एक दुआ से बाँधा यह समाः है
राख में महफूज़ शम्मा का जलना है,
कहें तो बस इन ख़्वाबों के महफ़िलों का दौर यह समाः है
जैसे रेल की पटरी पर चल रहे हैं|
नाय़ाब हैं हम, नाय़ाब हो तुम ...
नाय़ाब
नाय़ाब
नाय़ाब |
Indeed, love is... unconditional! =)